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पिरामिडों का रहस्य :-
प्राचीन समय में माना जाता है कि मिस्र में राजाओं एवं रानियों की मृत्यु के पश्चात उनकी बॉडी को एक बक्से में रखा जाता था जिसे मम्मी कहते हैं पर आज तक एक भी मम्मी पिरामिड में नहीं मिला और ना ही अभी तक किसी भी पिरामिड को पूरी तरह से एक्सप्लोर किया गया है Queens chamber में ना ही रानी का मम्मी पाया गया और ना ही kings chamber में राजा का मम्मी पाया गया।
इन सब फैक्ट से थ्योरीस्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि यह पिरामिड्स मम्मी यों के लिए नहीं बनाए गए बल्कि यह किसी और ही लक्ष्य के लिए बनाए गए हैं और इनमें जो पत्थर यूज़ हुए हैं उन से यह पता चलता है कि यह साधारण मनुष्य द्वारा बनाया ही नहीं जा सकता क्योकि ये पत्थर इतने वजनदार है कि इन्हें10 हाथियों द्वारा भी एक जगह से दूसरे जगह पर नही ले जाया जा सकता। तो चलिए थोड़ा इन पत्थरों के बारे में जान लें।
पिरामिड स्टोन
क्या आपको पता है इन पिरामिडों में जिन पत्थरो का उपयोग किया गया है वो साधारण पत्थरों से ज्यादा वजनी पत्थर है जिन्हें साधारण व्यक्ति द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना मुमकिन नही है। ये आजकल की high टेक्निकल मसीनों के द्वारा भी काफी मुश्किल से हो पाता है।
वैज्ञानिकों ने इस पत्थर पर बहुत अध्ययन किया परंतु सभी वैज्ञानिक हैरान रह गए । वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पत्थर लाइमस्टोन की तरह दिखता है पर लाइमस्टोन है नहीं । साथ में उनका यह भी कहना है कि ऐसा पत्थर उन्होंने पृथ्वी पर और कहीं भी नहीं पाया है। पुरातत्व विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार ऐसा पत्थर उनकी नजर में कहीं नहीं है। यह एक अदभुत पत्थर है जो पृथ्वी पर और कही भी मौजूद नहीँ है। और शायद इन्ही पत्थरों की वजह से पिरामिड इतने perfect है जो 4000 वर्षों में भी एकदम वैसे के वैसे ही है, या फिर इनके इतने परफेक्ट होने का कोई और रहस्य है,आइये जानते हैं कि पिरामिड इतने परफेक्ट कैसे है।
पिरामिड इतने परफेक्ट कैसे हैं
अगर आप इस पूरी पृथ्वी का सेंटर का पता लगाओ तो आप पाएंगे कि इस पूरी पृथ्वी का सेंटर भी वही पिरामिड का स्थान है। यह एक इत्तेफाक भी हो सकता है,पर ध्यान रखिए यह पिरामिड उस समय बनाए गए थे जब इंसानों को पता ही नहीं था कि इस पृथ्वी का सेंटर कहाँ है और यहां तक कि उस समय तो लोगों को यह भी नहीं पता था कि यह पृथ्वी गोल है तब लोग यह मानते थे कि यह पृथ्वी फ्लैट है और एक चौका देने वाली बात यह है कि इस पिरामिड का एक पार्ट एकदम north pol की साइड में है तथा एक पार्ट एकदम साउथ की तरफ। जो कि आपको नीचे फोटो में दिखाया गया है इसे ध्यान से देखो ।
पिरामिड कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी
पिरामिड कंस्ट्रक्शन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन्हें बनाने के लिए वॉल एंड शोक विधि का प्रयोग किया गया।
यह बोल एंड शोक टेक्नोलॉजी ऐसी टेक्नोलॉजी है जो heat को भी सहन कर सकता है अर्थात जब गर्मियों के दिनों में पत्थर थोड़ा बड़ा हो जाता है तो यह टेक्नोलॉजी उसे भी एडजस्ट कर सकती है और यह पिरामिड के स्ट्रक्चर में बदलाव को रोकती है तथा यह पभूकंप रोधी भी है।
सोचिए शोकप्रूफ टेक्नोलॉजी और वह भी 4000 साल पहले यह किसी इंसान द्वारा बनाई टेक्नोलॉजी तो लगती नहीं अब इसके पीछे का क्या राज है वह तो भगवान ही जाने...
एक और बात जहां पिरामिड है वहां का इलाका बहुत ही ज्यादा गर्म है और वहां गर्म हवाएं चलती रहती हैं और सूर्य की तेज धूप आती है इन सब के बावजूद भी उन पिरामिड के अंदर ऐसी टेक्नोलॉजी यूज़ की गई है जिनसे उनके अंदर का वातावरण ठंडा रहता है यह नेचुरल एसी है और वह पिरामिड के अंदर का टेंपरेचर 20 डिग्री रखता है जोकि एक फोटो द्वारा नीचे दर्शाया गया है यह फोटो पिरामिड के अंदर की है जहां सूर्य के बहुत अधिक प्रकाश के बावजूद भी अंदर का टेंपरेचर 20 डिग्री ही रहता है नीचे दी गई तस्वीर को ध्यान से देखिये
इतने सारे फेक के बावजूद यह कहना मुश्किल है कि यह पिरामिड्स किसी व्यक्तियों द्वारा बनाए गए हैं या फिर इनके पीछे किसी इंटेलिजेंट व्यक्तियों का काम है यानी एलियंस जी ने इतना नॉलेज था इस दुनिया के बारे में वह भी 4000 साल पहले जो कि आज भी पृथ्वी पर हमारे साइंस के पास मौजूद नहीं है
एलियन ड्राइंग इन इजिप्ट
नीचे दी गई तस्वीरों को गौर से देखिए और ध्यान दीजिए कि आपको पहली तस्वीर में राइट साइड में ऊपर की ओर क्या दिखाई दे रहा है यह एक आधुनिक रॉकेट की तरह दिखाई देता है जिससे अनुमान लगा सकते हैं कि यह शायद एलियन ओं का एयरक्राफ्ट है।
दूसरी तस्वीर वहां के एक टेंपल में मिली है जिसमें आधुनिक एलियन की तरह एक मनुष्य की फोटो है जिसमें आंखें बड़ी तथा उसका सिर भी बड़ा तथा शरीर छोटा है जो आधुनिक एलियंस को दर्शाता है
तीसरी फोटो को देखिए यह यह एक एलियन एयरक्राफ्ट है जो कि वहां की एक टेंपल में मिला है और यह पुरातत्व विभाग द्वारा बताया गया है कि यह 4000 वर्ष पहले वहां की अजीब प्राणियों द्वारा ही निर्मित है।
तो इन सभी बातों से वैज्ञानिकों ने यह निष्कृष निकाला की यह पिरामिड्स मम्मियों के रखने के लिए नहीं बनाए गए बल्कि इनको बनाने का कोई और ही उद्देश्य है जो आज तक एक गुथी बना हुआ है।
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